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Friday, March 8, 2013

let me be me


आज़ाद हवाओं सी खुले आसमाँ में उड़ने की तमन्ना है... खुल के हँसने और कभी रो लेने की तमन्ना है... जब बाँधें कोई बेड़ियाँ हाथों और पैरों में... उन्हें तोड़ के चल देने की तमन्ना है... 

कहते हो ग़र प्यार तुम्हें है मुझसे... मेरी भी फिर कुछ कहने की तमन्ना है... 

प्यार करो तो मुझसे करो... क्यों काट छाँट के उसी साँचे में ढाल रहे हो मुझे... क्यों खींच तान के उसी फ़र्मे पर चढ़ा रहे हो मुझे... 

जैसी हूँ वैसी ही रहने की तमन्ना है...

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